Thursday, March 24, 2016

भारतके मुसलमान: पाँचवा कास्ट

भारत में मुसलमानो को पाँचवा कास्ट बना के रखा गया है। बहुत गलत बात है। मुसलमानों का अपना एक अलग धर्म है। जातपात मानना ही है तो आप उसको अपने धर्म तक सीमित रखो। दुसरों पर लाद तो नहीं सकते।

दलित को चौथा कास्ट। मुसलमानो को पाँचवा कास्ट। दलितों और मुसलमानो के प्रति व्यक्ति आय में वही दिखता है।

दलित को चौथा कास्ट और मुसलमानो को पाँचवा कास्ट बना के रखे रहो तब तक भारत विश्व शक्ति बन ही नहीं सकता, संभव ही नहीं। कास्ट सिस्टम ख़त्म करो, गरीबी ख़त्म करो, तो विश्व शक्ति बन जाओगे। कास्ट सिस्टम भगवान का नहीं इंसान का बनाया है। इंसान ख़त्म भी कर सकता है।

मानव अधिकार तो भारत के संविधान में सुरक्षित है। कोई भी व्यक्ति या संगठन या फिर खुद सरकार ही मानव अधिकार का हनन करे तो भारतका कोई भी नागरिक पुलिस और कचहरी कहीं भी जा के नालिस कर सकता है। एक नागरिक काफी है। अगर कोई एक भी आदमी आगे नहीं आता तो ये तो संविधान की कमजोरी नहीं। अपनी रीढ़ की हड्डी जरा मजबुत करो। Legal Defense Fund खड़े करो। कानुनी लड़ाई लड़ो।

जन धन का सुरक्षा एक आधुनिक राज्य (state) का प्रथम दायित्व होता है। लोकतंत्र में gender violence, caste violence, religious violence के लिए कोई जगह नहीं। दंगे नहीं होने चाहिए। जिस तरह cyclone के लिए Early Warming System होती है, उसी तरह दंगो को बिलकुल नाकाम किया जा सकता है। ये एक law and order problem है। अगर कहीं दंगा होता है तो हुवा कि पुलिस अपना काम नहीं कर रही।

हैदराबाद के जो ओवैसी दो भाईजान हैं उन्हें मैं कइ महिनों से बड़े गौर से देख रहा हुँ। मजलिस का नाम सिर्फ वही एक शब्द नहीं हो सकता क्या? पुरा नाम तो एक ब्रांडिंग प्रॉब्लम है।

दुसरा बात है अकबर ओवैसी साहब को कहुंगा, आप इतने अच्छे बोल लेते हो। लेकिन एक जगह मैंने यूट्यूब पर सुना आप ने कहा, १५ मिनट पुलिस रस्ते से हट जाओ सिर्फ और तब देखो। तो वो तो वाक स्वतंत्रता नहीं हुई। लोकतंत्र में हिंसा भी allow नहीं है और हिंसा के लिए आह्वान करो मंच पर से, वो भी allow नहीं है। लोकतंत्र ही तो ताकत है आप की। लोकतंत्र को मानो। बल्कि मंच पर से बोलो, कानुन अपने हाथ में मत लो, सशक्त होना है तो संगठित हो जाओ।

मजलिस की लोकतान्त्रिक संभावना विश्व राजनीति तक है। लोकतंत्र का सन्देश दुनिया के सभी मुसलमानों तक पहुँचाना है। वो काम मजलिस कर सकती है। लेकिन उसके लिए लोकतंत्र को मानना होगा।

गुजरात, उससे पहले भागलपुर, और तो और खुद पार्टीशन के समय ---- बहुत हताहत हुवे। अपने कौम का दर्द महसुस होना एक अच्छे नेता का खुबी है। लेकिन उस दर्द को शक्ति में बदलने के राह पर चलो। और रास्ता है लोकतंत्र का। अहिंसा का।

संगठित हो जाओ। सशक्त हो जाओगे। शिक्षित हो जाओ। समृद्ध हो जाओगे। बस। अल्लाह का ये जो क्रिएशन है उसको appreciate करो। Appreciate करने का रास्ता है math and science.

मजलिस का और तो और खुद हैदराबाद में मेयर नहीं। खुद अपने राज्य में मुख्य मंत्री नहीं। कमसेकम हैदराबाद में मेयर अपनी पार्टी के बना के दिखाओ। भारत भर के मुसलमान पहले ये देखना चाहते हैं कि आपकी पार्टी govern कर सकती है कि नहीं। एक दो बड़े शहरों में सरकार चला के तो दिखाओ।

मुसलमान समुदाय से राजनीति शुरू की अच्छी बात है, लेकिन एक बड़ा शहर चलाने के लिए सभी समुदाय को अपील करना होता है। तो करो। कुछ आएंगे, कुछ नहीं। उनकी मर्जी।

लोकतंत्र, मानव अधिकार, गणतंत्र, संघीयता, समावेशीता
सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, सुलभता 
E for Education, E for Entrepreneurship, E for Energy

दुनिया के तीन में एक गरीब भारत में है। भारत ही तो है सारी दुनिया को गरीब बना के रखे हुवे है। मजलिस के पास विश्व राजनीति हिला देने की सम्भावना है।






































Wednesday, March 23, 2016

Negotiating With Terrorists

English: World Economic Forum Annual Meeting 1...
English: World Economic Forum Annual Meeting 1996 - Peres, Arafat & Schwab (Photo credit: Wikipedia)
One man's terrorist is another man's freedom fighter. Arafat said that. What is ISIS? Is it religious fervor? Is it a state? Is it mafia? Is it a terrorist organization? Is it organized crime? Is it Islamic revival? Different people can have different opinions.

ISIS took responsibility for Brussels, as for Paris before that. Both times it has claimed it was merely getting even for what is being done to it in its own territory. That back and forth only ends up in a much bigger war.

There is a saying in democracies. Never negotiate with terrorists. Those whose only ways are the ways of violence are not seeking political solutions. And so don't negotiate.

I think it is possible to negotiate, but only if ISIS were to agree to a wholesale ceasefire. If ISIS were to cease all plots of global violence, if ISIS were to cease all acts of violence in its own territory (some have reported small scale genocide), if ISIS were to cease all acts of sex crimes, if ISIS were to accept mediation over the same, if ISIS were to allow international observers who would oversee that the ceasefire indeed is being respected, then negotiations are possible. Remember, no political issues have been discussed yet. This would be a ceasefire whose only basic requirement is that all violence and all sex crimes to an end. If ISIS could do this much, it might even be possible to carve out a new country for the territory that ISIS holds.

That country's boundaries would be a political decision taken collectively by all parties. The current line of control could end up the final boundary. As to governance in that territory, there would be need for a constitution. Elections can be held to a constituent assembly. The only rule would be the constitution may not clash with the Human Rights Charter, and to that end there would be international judicial oversight. Other than that there would be no rules. Maybe ISIS will become a political party. Its armed members will get pulled into the country's police and army. Maybe ISIS will emerge the largest and the ruling party.

Pan Arabia is an option. If all Arab countries attempt a political and economic union, then why not? But that would be a non-violent, political act. If Europe is any example, the process is not easy, and it is supposed to take time.

Islam is a valid religion. It is as valid as Christianity. But any message against peace, justice and kindness are invalid in all religions.

ISIS in its current form comes across as a mindless, fascist, blasphemous, criminal organization. There are lawful uses of force. Currently ISIS can legitimately be at its receiving end. But a ceasefire could change that. Is there a mediator that ISIS would accept?