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Symbol of Hinduism, white and golden version. (Photo credit: Wikipedia) |
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English: Higher detail image of Swami_Vivekananda.jpg Swami Vivekananda, September, 1893, Chicaco, signed (Photo credit: Wikipedia) |
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English: Amitabh Bachchan photographed by Studio Harcourt Paris Français : Amitabh Bachchan photographié par Studio Harcourt Paris Harcourt Paris (Photo credit: Wikipedia) |
Bollywood rules on all continents.
Hinduism is restricted to
South Asia. That needs to change.
The
ghar wapasi campaign is offensive and a
human rights violation. Yeah, if there are
Muslims and Christians in
India who would like to convert to Hinduism out of free will, why not? It is their right. But to conduct campaigns to try to get them is offensive.
Diversity is India's number one strength. If ever India is to surpass
America it will be because India has figured out a way to celebrate diversity better than America, that free speech is more celebrated in India than in America. So the RSS folks are trying to take India in the wrong direction. Cease and desist.
Ye superpower banne ka koi tarika hai kya?
The RSS should instead create a global wing and send workers/swayamsevaks to all continents.
Amitabh jahan jahan pahunche hain us sabhi jagah jao. Ye to nahin ki unke pas aadmiyon ki koi kami hai. Subah subah dher dand baithki karte hain. To what end?
Kuchh to kaam karo, matribhoomi ka naam raushan karo.
Africa jao, Amrika jao, Europe ko jao, Australia jao, Rous, China, Japan jao, dharm prachar karo.
जरुरत है कि एक casteless Hinduism का निर्माण किया जाए। हिन्दु धर्म १०,००० साल पुराना है। लेकिन caste system सिर्फ १,००० साल पुराना है। ये caste system हिन्दु धर्मको प्रगतिके पथ पे चल्ने से रोक रही है। सौ दो सौ नए last names का निर्माण किया जाए। कुछ कवि लोगों को इकठ्ठा किजिए और कहिए बच्चन जैसे सौ दो सौ last names का निर्माण करें।
नहीं तो दुनिया भर के लोगों को क्या कहिएगा? मायावती के तरह दलित बन्ने को बोलिएगा? कि मोदी के तरह तेली बन्ने को बोलिएगा? कि गान्धी के तरह बनिया बन जाने को बोलिएगा? कि नेहरू के तरह पण्डित बन जाने को बोलिएगा? अगर वो पण्डित बनते भी हैं तो अभी जो पहले से पण्डित हैं वो उनको स्वीकार करेंगे क्या? बड़ी विकराल समस्या है। दुनिया में तरह तरह के लोग हैं ---- काले, पीले, गोरे। वैसे पंडितो को देख के भारतके पंडित चहक जाएंगे।
लेकिन बच्चन के तरह casteless होने को सब राजी हो जाएंगे। एक अमिताभ ही बच्चन क्यों रहेंगे? भले ही उस last name को उनके बापने निर्माण किया हो, लेकिन वो last name उनकी बपौती तो नहीं न है। हरिवंश राय एक पब्लिक फिगर थे, सारे भारत वर्षके धरोहर थे।
मैं तो RSS वालों को यही कहुँगा कि दुनिया के कोने कोने में जाइए और १०-२० करोड़ बच्चन पैदा किजिए। भारतमें तो हिंदुवो की कोइ कमी थोड़े है? १०० करोड़ से ज्यादा हैं और बहुत पैदा भी करते रहते हैं। कमी है तो अफ्रिका, अमरीका, युरोप, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया में।
मिशन पर जाइए और जोड़ तोड़के साथ हिन्दु धर्मका प्रचार प्रसार किजिए। इच्छुक लोगोंको कन्वर्ट किजिए।
आजके दुनियामें सुपरपावर गोला बारूद से नहीं बना जाता है। सबसे उपर है economics जिसको मोदी development बोलते हैं। मोदीको काम करने दिजिए, डेवलपमेंट के एजेंडा को derail मत किजिए, अगर भारतको ग्लोबल सुपरपावर बनते देखना चाहते हैं तो। ये सॉफ्ट पावर का जमाना है। अणु बम बन जाने के बाद लडाइ तो होती नहीं है। लेकिन
बॉलीवुड और हिन्दु धर्म को विश्वके कोने कोने में ले जाएँ। भारतको ग्लोबल सुपरपावर बनाना है तो।
लव जिहाद और
घर वापसी वाला ढकोसला आप लोगों को शोभा नहीं देती। जाइए दुनिया घुमिए।