Tuesday, June 02, 2015
Advantage Sushil Modi
नीतिश, लालु, माझी, पप्पु, काँग्रेस, वाम पार्टी सब एक जगह रहते तो ये रेस ५०-५० था। लेकिन ये लोग तो बुरी तरह बिखर गए हैं। Right now Sushil Modi has a clear advantage. And he is a good man. Modest, hard working, lightning smart. इनकी बीवी ही क्रिस्चियन -- तो इन पर वो इल्जाम नहीं लगा सकते जो कभी कभी RSS टाइप वालों पर लगाया जाता है। सबका साथ तो इनके घर से ही शुरू होता है। और क्या है कि राजनीति में अधिकांश backbenchers पहुँच जाते हैं। लेकिन सुशील मोदी तो university topper थे। नीतिश ने जो अद्भुत काम किया २००५ से २०१२ तक तो वहां सुशील सेकंड इन कमांड थे, और road और health तो इनके ही कैंप के लोग सम्हाल रहे थे। अब शायद बिहार में सुशील मोदी की बारी है।
नीतिश अलग से लड़ेंगे, लालु अलग से लड़ेंगे, माझी अलग, पप्पु अलग ---- तो सुशील मोदी तो स्वीप करेंगे। वैसा दिख रहा है। दिल्ली में नमो, पटना में सुमो। मैं तो यही चाहुँगा सुशीलजी बिहार को १५% ग्रोथ रेट दें। संभव है।
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Monday, June 01, 2015
मोदी का विश्व भ्रमण
Opposition poster for the 1866 election. Geary's opponent, Hiester Clymer, ran on a white supremacy platform. (Photo credit: Wikipedia) |
India's Goal: $50 Trillion
भारत को FDI चाहिए, और थोड़ा बहुत नहीं बहुत बहुत चाहिए। तो वो तो मांगने से मिलता है। घर बैठे बैठे नहीं मिलता है। भारत में गरीबी बहुत ज्यादा है। मैंने मोदी को तीन साल दिए हुवे हैं। तीन साल के अंदर growth रेट को 10% or more बनाओ और उसको २० साल कायम रखो। उसके बाद जो अगले जो आएंगे उनको भी वो बरक़रार रखना है। ३०-४० साल इंडिया को नॉन स्टॉप डबल डिजिट ग्रोथ रेट देने होंगे। तो उसके लिए FDI की सख्त जरुरत है। मोदी मटरगश्ती कर रहे हैं, vacation मना रहे हैं ऐसी बात नहीं है। वो तो काम पर लगे हुवे हैं। और दुनिया घुमने से दिल्ली में काम सुस्त हो गया है ऐसी बात नहीं है। उनका अच्छा टीम है। खुद भी तो टाइम देते हैं। पिछले साल ५० दिन भारत के बाहर रहे। लेकिन ३१५ दिन तो देश के भितर रहे। पडोसी देशों में गए। NorthEast गए।
और FDI वैसे नहीं आती है। अपने साथ टेक्नोलॉजी भी लाती है। अच्छे अच्छे management practices भी लाती है।
काँग्रेस की मजबुरी है कि उनको मोदी का विरोध करना है। मोदी कहे दिन तो काँग्रेस को कहना होगा रात। मोदी कहे रात तो काँग्रेस को कहना होगा दिन। Knee jerk opposition ----- they don't have the luxury of being a thoughtful opposition like Naveen Patnaik. ये मैं समझता हुँ। मोदी ने अमरिका भ्रमण में भारतीय कपडे पहने। White House गए तो भारतीय कपडे पहने। लेकिन दिल्ली में "सूट बूट" इसलिए पहना कि मेहमान के लिए। खास मेहमान आए हुवे थे। ओबामा के लिए सूट पहन लिया। अच्छा किया। महँगा सुट तो था लेकिन बाद में वो सुट auction हुवा तो बहुत पैसा में auction हुवा। मोदी बनिया --- उसमें भी मुनाफा ही सोंचा! मेहमान की खातिरदारी भारतीय संस्कृति से मेल नहीं खाती क्या?
राहुल गांधी ने कहा "अभी हमारे प्रधान मंत्री भारत भ्रमण पर आए हुवे हैं!" वो opposition में हैं। लोकतंत्र है। Opposition को भी अपना रोल अदा करना है। कर रहे हैं।
मेरे को तो लोभ ये भी है कि मोदी जरा मेरे होमटाउन जनकपुर की ओर भी एक नजर देख दें तो उस शहर का कायापलट हो जाए, उसका भी विकास हो जाए। दुसरा मुद्दा है नेपाल के मधेसी यो का। दिए तले अंधेरा। नेपाल में भारतीयों को दुसरे दर्जे के नागरिक के रूपमें रहना पड़े ये कैसी लज्जा की बात है भारत के लिए। लेकिन हो यही रहा है। भारत के विश्व शक्ति बनने क्रम में पहला कदम है नेपाल में मधेसीयों को राजनीतिक समानता। कुछ साल पहले नेपाल के एक प्रधान मंत्री ने ४३ लाख मधेसीयों को वोटर लिस्ट पर से फेंक दिया, सालों से संघीयता के मुद्दे पर आनाकानी किए हुवे हैं। ये न्याय है क्या?
मैंने अभी अभी देखा मोदी October में India-Africa Summit करने जा रहे हैं। ५४ अफ़्रीकी देशों के Heads of State दिल्ली आएंगे। मेरा दिल गदगद हो गया। "दोस्ती जो की है, निभानी तो पड़ेगी ही।" वैसे ओबामा दुनिया के सबसे शक्तिशाली पद पर हैं, इतना अच्छा काम किया है, लेकिन फिर भी उनको भी racism झेलना पड़ रहा है। तो वहां मोदी एक रोल खेल सकते हैं, थोड़ा मदत कर सकते हैं। अफ्रीका को democracy और development दो, अपनी दोस्ती निभाओ। जब तक अफ्रीका प्रगति के पथ पर आगे नहीं आता अमरीका में कालों की दुर्दशा होती रहेगी। उनके साथ अच्छा सुलुक नहीं होगा।
Helping Africa is good business. चीन के लोग अब जाके अफ्रीका में रहने लगे हैं। भारत के लोग तो बहुत पहले से रह रहे हैं। अफ्रीका प्रगति करेगा तो भारत से सामान खरीदेगा। अफ्रीका भारत को विश्व शक्ति बनाने में मदत करेगा। अफ्रीका खुद विश्व शक्ति बनेगा।
बिहार में भी विकास चाहिए।
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