Wednesday, June 15, 2022

प्रशांत किशोर और २०२४ का चुनाव




हम मोदी जी के प्रशंसक हैं। अच्छा काम किया है और कर रहे हैं। उद्यमी के लिए काम करना (Ease Of Doing Business) आसान किया है। पुर्वसंरचना (Infrastructure) पर काम हो रहा है। नितिन का काम देखो। लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र ब्लाइंड स्पॉट की तरह है। जिस पृष्ठभुमि से आए हैं और जहाँ पर पहुँचे हैं वो एक मिशाल है। विश्व मंच पर देश के लिए एक जगह बना लिया है। 

लेकिन १०% आर्थिक वृद्धि दर तो दिया नहीं। २०% देंगे ये तो संभावना दिख नहीं रहा। 

और विपक्ष बिलकुल असफल है। बगैर एक सबल विपक्ष के लोकतंत्र ही कमजोर हो जाता है। 

बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, ओरिसा जैसे चार पाँच राज्यों में प्रशांत को खुद जाना होगा। उसके अलाबे देश भर एक मोर्चा बनाना होगा। मोर्चा का फोर्मुला हो कि एक पद एक उम्मेदवार देश भर। और चुनाव के बाद सभी सदस्य पार्टी सांसदों की एक निर्वाचक मंडल। वो निर्वाचक मंडल मतदान कर कि मोर्चा का नेता कौन हो। उतना मानने वाले पार्टी मोर्चा के सदस्य बन सकते हैं। नहीं मानने वाले नहीं बन सकते।  वो कांग्रेस पर भी लागु होती है।   

ऐसा भी हो सकता है कि कांग्रेस इस बात को न माने। और उसके विरुद्ध भी चुनाव लड़ना पड़ जाए। 

इस रास्ते चल के देश के लिए दोनों हाथ में लड्डु। मोर्चा ने सरकार बनायीं तो सरकार बनायीं। नहीं बना पायी तो देश को सबल विपक्ष मिल जाएगा। 


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