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Monday, February 02, 2015

Boots On The Ground?

If ISIS is going to target "soft" targets anywhere and everywhere, I think the western powers might be forced to think in terms of boots on the ground. We might be about to enter a bloody, violent, expensive phase of the War On Terror. There is obviously no easy way out. Bush II stands validated a little.

If the Taliban in power in Afghanistan is a no no, why is ISIS in power anywhere an option, right? ISIS commands a territory, it commands major revenue streams. It has a global reach the likes of which the Taliban or the Al Qaeda never did. And its intentions are clear and apocalyptic.

But even the boots on the ground idea could come with major aerial moves. It does not have to be a major operation like Bush II going into Iraq. I don't know. I am no military expert.


Saturday, January 31, 2015

केजरीवाल PM बन सकते हैं

मोदी और नीतिश एक ही जेनेरेशन के हैं। तो मोदी बाजी मार ले गए। और वो काम अच्छा कर रहे हैं। अभी तो लगता है १० साल तो कुर्सी पर बैठे रहेंगे ही।

लेकिन केजरीवाल उसके बादवाली जेनेरेशन से हैं। मान लो मोदी १५ साल गद्दी पर बैठे रहते हैं। तो उसके बाद कौन? बीजेपी के पास अच्छे अच्छे मुख्य मंत्री हैं, नहीं है ऐसी बात नहीं। लेकिन कोइ एक पार्टी १५ साल शासन करने के बाद थक सी जाती है। तो केजरीवालको मौका मिल सकता है। लेकिन उसके लिए उनको १० साल मुख्य मंत्री बनके, अच्छा काम करके दिखाना होगा।

नीतिश अगर चुनाव जित जाते हैं तो शायद वो १० साल तक मुख्य मंत्री बने रहे।

केजरीवाल मगर PM बन सकते हैं। नीतिश शायद उस दौर में नही हैं।

लेकिन दो साल पहले केजरीवाल कौन थे? अपरिचित थे। १०-१५ सालमें नए नए चेहरे उभरके नहीं आ सकते हैं ऐसी बात नहीं है।


प्रधान मंत्री जन धन आयोजना और Microfinance

मोदीने जो किया है वो एक क्रांतिकारी कदम है। अब लगभग सभी भारतीय परिवारोंके पास बैंक खाता है। संपत्ति सोने के रूपमें मत रखो, बैंक खातेमें पैसा जमा करो -- वो सन्देश है। बहुत बड़ी बात है ये। देशकी कायापलट कर देगी। Domestic Capital Markets के लिए इतना बड़ा काम भारतमें पिछले हजार सालमें नहीं हुए। चार महिनेमें कर दिखाया।

मोदीने गुजरातमें जो काम किया विकासके लिए उसका मैं सदैव प्रशंसक रहा। और २००२ दंगे जो कि एक बहुत बड़ी ट्रेजेडी थी, उसके लिए मैंने भारतके सर्वोच्च अदालतको माना। उस अदालतने निर्णय किया कि मोदी जिम्मेवार नहीं हैं तो नहीं हैं। और वो मेरी अडान चुनाव से पहले की है। लेकिन चुनाव के दरम्यान मैं नीतिश के लिए रूटिंग कर रहा था। सोच्ने वाली बात ये है कि मेरी पैदाइश बिहारकी है। दरभंगा में पैदा हुवा मै। और नीतिश ने बिहारकी कायापलट की। तो उतना तो मेरे को करना ही था। अभी भी मैं उनका प्रशंसक हुँ। लालुका भी मैं प्रशंसक हुँ। लालुके पार्टीके बिहार यूनिट (एक ही तो यूनिट है पार्टीकी) के प्रेसिडेंट रामचन्द्र पुर्वे मेरे मामा लगेंगे। लालु जब मुख्य मंत्री थे तो मेरे मामा उनके शिक्षा मंत्री थे। And Laloo has been the best Railways Minister in India's history. नीतिशने मुख्य मंत्रीके रूपमें और लालुने रेल मंत्रीके रूपमें जादु ही कर दिया। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से लेके बिल गेट्स तक दोनों के फैन हो गए। तो उसकी सराहना तो करनी ही होगी। १,००० साल की caste dynamics को लालु ने चैलेंज किया। छोटीमोटी बात नहीं है।

भारतके वो प्रथम प्रमुख नेता हैं नीतिश जिन्होने मोदीको भविष्यका प्रधान मंत्री बताया। वो मुख्य मंत्री बनने से पहले की बात है। RSS का जो लव जिहाद और घर वापसीका ढकोसला है वो नीतिशको भी अच्छा नहीं लगा तो मोदीको भी नहीं। मोदी तेली तो नीतिश कुर्मी --- दोनों एक ही caste category से हैं। दोनों पिछड़े वर्गसे हैं। दोनों निम्न परिवारसे हैं। दोनों ने मुख्य मंत्रीके रूपमें बहुत अच्छा काम किया।

गौर करनेवाली बात ये है कि २०१४ में प्रधान मंत्री पदके लिए सिर्फ एक आदमी लड़ रहा था। घोषित कैंडिडेट दुसरा कोइ था ही नहीं। राहुल घोषित कैंडिडेट नहीं थे। नीतिश तो थे ही नहीं। एक बार बात ही बात में कह दिया, "मैं कोइ बुरा कैंडिडेट थोरे हुँ," लेकिन वो दौर में नहीं थे। नीतिशका इशारा था एल के आडवाणी की ओर। अभी भी मुलायमकी और इशारा कर रहे हैं। फिर से गलती कर रहे हैं। बडोका आदर करो, लेकिन इतना मत करो कि डेमोक्रेसी गड़बड़ हो जाए।

Maybe it was not a well thought out position by Nitish. Maybe he made a mistake in breaking up with the BJP on the issue of Modi. I don't know. I am not sure. If he had been part of the NDA, he would have been its most important leader after Modi himself. But he let that go.

तो फिर नीतिश ने क्या किया? क्या गलती किया? शायद। लेकिन लोकतंत्रमें उनका लोकतान्त्रिक अधिकार है। वैसे भी वो जनता परिवार पृष्ठभूमिके लोग हैं। जहाँके थे वहाँ चले गए। या अगर प्रधान मंत्री के रेस में थे तो मोदी जित गए। वो हार गए। होता है।

सुशील मोदी कहते हैं, २००५ के बाद बिहार में अच्छा काम हुवा, उसका श्रेय तो मैं भी लुंगा। कोई गलत तर्क नहीं है। बात भारतकी है, लोकतंत्रकी है, विकासकी है, बिहारकी है। सुशील मोदीका कास्ट बैकग्राउंड भी नीतिशके जैसा है। तो मेरेको लगता है प्रतिस्प्रधा कसके होगी।

सारे भारतमें केजरीवाल और नीतिश ही हैं जो मोदीको चैलेंज कर सकते हैं। दिल्लीका चुनाव बिहार के लिए भी मायने रखती है। अगर केजरीवाल चुनाव हार जाते हैं तो नीतिशको बिहारमें दिक्कत है। Bihar is tougher than Delhi. दिल्लीमें केजरीवाल जित भी जाते हैं तो बिहारमें नीतिशको आसान है ऐसी बात नहीं।

लेकिन अगर केजरीवाल और नीतिश दोनों मुख्य मंत्री बन भी जाते हैं तो मोदीको केंद्रमें कोइ खास डिस्टर्ब नहीं होगा। भारतकी लोकतंत्र मजबुत होगी। लोकतंत्रमें बिपक्ष भी कोइ मायने रखती है। अभी तो लग रहा है मोदी कमसेकम १० साल तो प्रधान मंत्री बने ही रहेंगे। काम अच्छा कर रहे हैं।

बात है प्रधान मंत्री जन धन आयोजना की और Microfinance की। एक आधार बन गयी है। देश व्यापी रूपसे Microfinance का विस्तार किया जा सकता है।