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Friday, March 04, 2016

Vice President

..... this ticket will turn America into a one party state, come November.

You hire Tine Fey to go after The Donald. She is all you need.



All the men are for sexism. And all the women are anti-sexism. That is not how it works. There are both men and women sickened by sexism. They want to rapid it up. Have you ever found yourself with some dude who is trying to bond with you through some ill thought out sexist joke, and you are about to puke? Women's rights is actually quite platitudinous. It is humdrum stuff. Like pay equality. Dollars and cents. Paid family leave. Zero tolerance for gender violence. Universal pre-K, universal child care, universal public transportation. The interesting stuff starts happening only after women have achieved purchasing power parity. That will be the starting point. Until then it's just preparatory work.

Most of the gender action actually is in South Asia and Africa. Elect them and send them over there!

Hillary Clinton can not be called a feminist because she does boring stuff. Boring stuff like, I dunnow, pay equality maybe?

Money: 100% Digital, 100% Global, 100% On The Blockchain, 100% In Circulation

Obverse side of a 1990 issued US Penny. Pictur...
Obverse side of a 1990 issued US Penny. Picture was created as a linear macro panoramic image, composed from 16 photos. (Photo credit: Wikipedia)
अगर ऐसा किया जाता है तो जो पैसा अमरिका में है वही पैसा जब अमेरिका में लोग सो रहे होंगे तो वो भारत में लोग प्रयोग करेंगे। तो कहाँ है पुंजी की कमी? डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी करते रहते हो --- पैसा भी तो शेयर करो। तब आएगा डेमोक्रेसी का मजा।

और १००% सर्कुलेशन का मतलब जिसको मोदी काला धन कहते हैं। और वो समस्या सिर्फ भारत का नहीं प्रत्येक देशका है। सबसे ज्यादा वो प्रॉब्लम अमरिका में है। मोदी ने कहा भारत का धन काला धन के रूप में इतना ज्यादा है कि अगर वापस आ जाये और प्रत्येक भारतीय को बराबर से बाँट दिया जाए तो एक को १०-१५ लाख मिल जाए। उन्होंने ये नहीं कहा कि सबको मुफ्त में १०-१५ लाख दे देंगे। उन्होंने ये दिखाना चाहा कि बहुत ज्यादा काला धन देशके बाहर है।

उन्होंने गलत कहा। जितना कहा उससे कहीं ज्यादा है। बहुत ज्यादा। इतना ज्यादा कि कहीं से कोई FDI लाने की जरुरत ही नहीं।

धनवानों के अपने देश नहीं होते। शायद। 

लैंड बिल और आरक्षण

पटेल तो गुजरात के रूलिंग क्लास हुवे, नहीं? तो फिर रूलिंग क्लास को आरक्षण क्यों चाहिए? जाट जमीन जायदाद वाले लोग। वो भी कह रहे हैं आरक्षण।

लेकिन वो आरक्षण नहीं कह रहे हैं। वो कह रहे हैं नौकरी दो। नौकरी यानि की job ---- white collar job. तो क्या होता है कि समाजवाद में नौकरी कौन देता है? गवर्नमेंट। तो इस लिए लोग आरक्षण आरक्षण कर रहे हैं।

पटेल भी जाट भी कह रहे हैं अब खेतीपाती में दम नहीं रह गया। कोई छोटी बड़ी नौकरी ही दे दो।

तो यार वही तो है लैंड बिल। कि खेतीपाती में अब दम नहीं रह गया। अब industrialization करो ताकि लोगों को नौकरी मिल सके। लैंड बिल भी और लेबर बिल भी।

समाजवाद में होता है कि एक बार नौकरी मिल गयी बस बैठे रहो वहाँ पर रिटायर होने तक। तो लोग कहते हैं, नौकरी दो, या सरकारी नौकरी या प्राइवेट मतलब नहीं, लेकिन जॉब गारंटी होनी चाहिए। प्राइवेट सेक्टर में तो वैसा नहीं होता। एक इंटरप्रेन्योर को अगर आप के रखने से फायदा नहीं तो वो रखेगा क्युं। उसके पैसे न भगवान से आ रहे ना सरकार से। सिर्फ कंपनी के revenue के पैसे हैं। तो जॉब गारंटी तो होता ही नहीं। प्राइवेट में होता है hire and fire at whim. लेकिन ये होता है कि आप के विरुद्ध discriminate नहीं कर सकते। ये नहीं कह सकते कि मुसलमान हो इस लिए नहीं लेंगे। तब तो वो जेल जायेंगे। या फाइन होगा।

तो कहते हैं समाजवाद में वैसा नहीं होता। नौकरी की गारंटी करो। यहाँ तक कि प्राइवेट में भी आरक्षण!

तो ये एक War Of Words है जो बीजेपी वाले लड़ नहीं रहे। लैंड बिल के समय किसी ने अमित शाह को कह दिया कि हल्ला है आप गरीब किसानों की जमीन उद्योगपतियों को देना चाहते हैं। तो अमित शाह ने कह दिया एक इंच भी जमीन किसी उद्योगपति को नहीं मिलेगा।

उद्योगपति को नहीं मिलेगा तो फिर किसको मिलेगा? उसी उद्योगपति को देने के लिए तो हो रही थी रस्साकस्सी। उद्योगपति को नहीं मिलेगा तो फिर औद्योगीकरण कौन करेगा? Jobs कैसे create होंगे? किसको दहेज़ में देनी थी जमीन?

जाट भाइयों ने बस उड़ा ही दिया। ये देखो लैंड बिल। नहर बिल।

एक War Of Words है जो बीजेपी को लड़ना होगा। कि आप जो नौकरी नौकरी किये हो वो सरकार से आने वाली नहीं। वो जहाँ से आएगी उसके लिए लैंड बिल भी और लेबर बिल भी चाहिए। फैक्ट्री  लगाने के लिए जमीन की जरुरत होती है। और नौकरी आप की कब लगेगी कब चली जाएगी वो सिर्फ उस कंपनी के मालिक को निर्णय लेना होता है। उसमें और किसी की या सरकार की दाल नहीं गलती।

RSS वाले बहुत उर्जा दिखाते रहते हैं। तो उन्हें प्रोजेक्ट दो। एक बिलियन हिन्दु को एक casteless Hinduism में कन्वर्ट करो। उससे भी उर्जा बच जाए तो उसके बाद जाओ दुनिया घुमो और प्रत्येक महादेश पर हिन्दु का संख्या बढ़ाओ। सुबह सुबह दंड बैठकी करने का कुछ तो फायदा होना चाहिए कि नहीं?

और एक बात है इंफ्रास्ट्रक्चर की। बिजली सड़क को कहते हैं इंफ्रास्ट्रक्चर। लेकिन access to credit भी तो इंफ्रास्ट्रक्चर है और सबसे नंबर एक है महत्व के हिसाब से। बायोमेट्रिक आईडी भी है और अब बैंक अकाउंट भी। तो बगैर कोलैटरल का लोन दो। ताकि लोग छोटी मोटी बिजनेस शुरू कर सके। अमरिका में भी सबसे ज्यादा जॉब क्रिएशन होता है स्मॉल बिजनेस द्वारा ही। १०-२० लोग को खटाने वाले बिजनेस ही सबसे  ज्यादा लोगों को नौकरी देते हैं। तो अभी उस small business sector को भारत में informal sector कह के डिसमिस कर देते हैं। वो सोचीसमझी साजिश है बड़े उद्योगपतियों की ताकि बैंक लोन सिर्फ उन्हें मिले। जब कि सबसे ज्यादा फोकस होना चाहिए उसी small business sector पर। Access to credit नंबर वन बात है।

मोहन भागवत कहना चाह रहे थे कि जातपात खत्म करो लेकिन मुँह से धोखे से निकल गया आरक्षण ख़त्म करो।