Tuesday, August 27, 2019

इमरान का काश्मीर समस्या पाकिस्तान की आतंरिक राजनीति जैसी लगने लगी है



पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान साहब काश्मीर मसले को चीन के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र संघ को ले गए। धारा ३७० को सेक्युरिटी कॉउन्सिल ने भारतका आतंरिक मामला घोषित कर दिया। उन्होंने गुजारिश की कि दुनिया भर के मुसलमान कश्मीर के मुद्दे पर एक हो जाओ। तो गल्फ देश एक के बाद एक मोदी को अवार्ड बगैरह दिए जा रहे हैं।

भारत लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल के पार कोइ बदमाशी न कर सकता है न करने दे सकता है। मीडिया में सारा काश्मीर हमारा है कहना अलग बात है। दोनों कह रहे हैं। मसला ये है कि भारत के काश्मीर के अंदर स्थिति सामान्य होते हैं कि नहीं। कर्फ्यू बगैरह सब हटाने के बाद और फ़ोन इंटरनेट सब चालु होने के बाद स्थिति सामान्य होती है कि नहीं। लोकतंत्र बहाल होती है कि नहीं। चुनाव होती है कि नहीं। तीव्र गति से विकास होती है कि नहीं। मसला ये है। स्थिति सामान्य हो गयी। चुनाव हो गयी तो बात रफा दफा हो जाएगा।

इमरान जब से प्रधान मंत्री बने पाकिस्तान के तभी से कहे पर कहे जा रहे थे, बात करो, बात करो। बिल्ली की मुँह गर्म दुध से पक गयी थी। मोदी नवाज से बात ही तो कर रहे थे। जितनी बार बात करते पाकिस्तानी फौजी और ख़ुफ़िया एजेंसी कोई न कोई अटैक फरमा बैठते। ताकि बातचीत ख़तम हो जाए। तो मोदी को लगा होगा पाकिस्तानी फौजी और ख़ुफ़िया एजेंसी इमरान खान के पकड़ में है तो नहीं। वो पैरेलल स्टेट चलाते हैं। तो इमरान से बात करो और वो फिर से कहीं न कहीं अटैक कर देंगे। अटैक छोटी ही हो पुरे देश गर्मा जाती है। तो कौन पंगा लेगा भाइ?

मोदी वार्ता नहीं युद्ध चाहते हैं ऐसी बात नहीं है। युद्ध तो चाह कर भी संभव नहीं है। युद्ध यानि कि आत्महत्या। सुसाइड। दोनों के लिए।

मैंने धारा ३७० सुनी थी लेकिन मेरे को मालुम नहीं था कि बाँकी भारत के लोग काश्मीर में जमीन खरीद नहीं सकते हैं। संघीयता का कोइ एक फोर्मुला शायद नहीं होता। धारा ३७० का हटना गलत या सही ये मेरे को नहीं कहना है। मैं सुनना चाहता हुँ कि काश्मीर के लोग इस बारे में क्या कहते हैं। अगर वो सामान्य स्थिति और चुनाव की ओर जाते हैं तो मैं कहुँगा निर्णय गलत नहीं रहा। जल्द से जल्द चुनाव कराओ।

मैं इस ब्लॉग पर महिनों सालों से कहता आया हुँ काश्मीर समस्या का समाधान यही है कि भारत भी और पाकिस्तान भी पुरे काश्मीर पर अपना अपना क्लेम बंद करो और लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल को परमानेंट बॉर्डर घोषित करो। और व्यापार पर फोकस करो। अभी जो धरा ३७० हटी है वो उसी फोर्मुला के भितर जैसी दिखती है। लेकिन पाकिस्तान शासित काश्मीर और अक्साइ चीन पर क्लेम करना बंद करो।

तो अब कर्फ्यू बगैरह हटाओ ताकि जनजीवन सामान्य बन सके। लोग चलफिर सके। बच्चे स्कुल जा सके। लोग बाजार जा सके। काम पर जा सके। चुनाव की तयारी करो। तीव्र गति से विकास कर के दिखाओ। लोगों को नौकरिया मिले ऐसी वातावरण बनाओ। ये सब होमवर्क है।

इमरान खान मॉनिटरिंग करें। कि धारा ३७० हटाने के बाद वहाँ तानाशाही नहीं लाद दी गयी हो। कर्फ्यू बगैरह हटाओ। जनजीवन सामान्य बनाओ। लोगो को बोलने दो।

इमरान भारत शासित काश्मीर पर क्लेम करना छोड़ दें। वो पाकिस्तान शासित कश्मीर पर फोकस करें। वहाँ स्थिति सामान्य है कि नहीं। वहाँ स्थानीय बगैरह चुनाव हो रहे हैं कि नहीं। विकास हो रहा है कि नहीं। चीन जो रोड बना रहा है पाकिस्तानी कश्मीर होते हुवे अरेबियन सागर तक वो तो अच्छी बात है। सिर्फ लोन किस दर पर है वो विचार कर लेनी चाहिए। ज्यादा है तो इमरान फिर से निगोशिएट करें और लोन रेट कम करवा लें जैसे मलेशिया के प्रधना मंत्री ने करवाया। वो रोड बन जाती है तो फिर पाकिस्तानी अर्थतंत्र का कायापलट हो जाएगा।

पाकिस्तान में लोकतंत्र है नहीं। सिर्फ चुनाव होने से लोकतंत्र नहीं होता। पाकिस्तानी सेना पर ख़ुफ़िया एजेंसी पर पाकिस्तान के प्रधान मंत्री का पुर्ण नियंत्रण हो जाए तब जा के पाकिस्तान को लोकतंत्र माना जाएगा। अभी तो पाकिस्तान एक वैसा तांगा है जिनके तीन घोड़े तीन ओर घींच रहे हो।

इमरान का काश्मीर समस्या पाकिस्तान की आतंरिक राजनीति जैसी लगने लगी है। पाकिस्तान की अर्थतंत्र ऐसी नाजुक अवस्था से गुजर रही है। काफी कमजोर पड़ी है। इमरान को सख्त से सख्त निर्णय लेने हैं। कुछ ठोस कदम उठाने हैं। टैक्स का दायरा बढ़ाना है। पाकिस्तान के जो आमिर हैं वो टैक्स भरते ही नहीं। देशको कमजोर कर के रखे हुवे हैं।

पाकिस्तान की आतंरिक राजनीति से जुझना कठिन काम है और वो इमरान खान को करना है। भारत से जुझना तो आसान काम है। मोदी को खरी खोटी सुना दो। लोग तालियाँ पिटते हैं। इमरान को चाहिए अपने अर्थतंत्र पर फोकस करें।



پاکستان کے وزیر اعظم عمران خان صاحب چین کی حمایت سے مسئلہ کشمیر کو اقوام متحدہ میں لے گئے۔ سیکشن 360 نے داخلی کونسل کو ہندوستان کا داخلی معاملہ قرار دیا۔ انہوں نے گذارش کی کہ پوری دنیا کے مسلمان مسئلہ کشمیر پر متحد ہوجائیں۔ تو خلیجی ممالک کو ایک کے بعد ایک مودی سے نوازا جارہا ہے۔

بھارت لائن آف کنٹرول کے پار کسی قسم کی غنڈہ گردی کی اجازت نہیں دے سکتا ہے اور نہیں دے گا۔ یہ کہنا الگ بات ہے کہ میڈیا میں پورا کشمیر ہمارا ہے۔ دونوں کہہ رہے ہیں۔ مسئلہ یہ ہے کہ ہندوستان کے کشمیر کے اندر صورتحال نارمل ہے یا نہیں۔ چاہے کرفیو کو ہٹانے کے بعد اور فون انٹرنیٹ کے بعد بھی سب کچھ چل رہا ہے۔ جمہوریت بحال ہوتی ہے یا نہیں۔ چاہے انتخاب کیا جائے یا نہیں۔ چاہے تیز رفتار ترقی ہو یا نہ ہو۔ یہ مسئلہ ہے۔ صورتحال معمول بن گئی۔ اگر انتخابات ہوتے ہیں تو معاملہ ختم ہوجائے گا۔

جب سے عمران پاکستان کے وزیر اعظم بنے ہیں تب سے وہ کہتے رہے ہیں ، بات کریں ، بات کریں۔ بلی کا منہ گرم دودھ کے ساتھ پکڑا گیا تھا۔ مودی صرف نواز سے گفتگو کر رہے تھے۔ جب بھی پاکستانی فوج اور خفیہ ایجنسی بات کرتی ، وہ ایک ہی حملہ پر بیٹھ جاتے۔ تاکہ گفتگو ختم ہوجائے۔ تو مودی کو یہ محسوس ہوگا کہ پاکستانی فوج اور خفیہ ایجنسی عمران خان کی گرفت میں ہے یا نہیں۔ وہ متوازی ریاست چلاتا ہے۔ تو عمران سے بات کریں اور وہ پھر کہیں حملہ کرے گا۔ جب حملہ چھوٹا ہوتا ہے تو ، پورا ملک گرم ہوتا ہے۔ تو بھائی کون گڑبڑ کرے گا؟

مودی بات چیت نہیں چاہتے لیکن جنگ ایسا نہیں ہے۔ جنگ چاہے بغیر ممکن نہیں۔ جنگ کا مطلب ہے خود کشی۔ خودکشی۔ دونوں کے لئے۔

میں نے دفعہ heard 360. سنا تھا لیکن میں نہیں جانتا تھا کہ ہندوستان کے لوگ کشمیر میں زمین نہیں خرید سکتے ہیں۔ شاید فیڈرل ازم کا کوئی فارمولا موجود نہیں ہے۔ مجھے یہ کہنے کی ضرورت نہیں ہے کہ دفعہ 370 کو ختم کرنا غلط ہے یا صحیح ہے۔ میں یہ سننا چاہتا ہوں کہ کشمیری عوام اس بارے میں کیا کہتے ہیں۔ اگر وہ عام صورتحال اور انتخابات میں جاتے ہیں تو میں یہ کہوں گا کہ فیصلہ غلط نہیں تھا۔ جتنی جلدی ممکن ہو انتخابات کروائیں۔

میں اس بلاگ پر کئی مہینوں سے کہہ رہا ہوں کہ مسئلہ کشمیر کا حل یہ ہے کہ بھارت اور پاکستان کو بھی پورے کشمیر پر اپنا دعوی بند کرنا چاہئے اور لائن آف کنٹرول کو مستقل بارڈر قرار دینا چاہئے۔ اور کاروبار پر توجہ دیں۔ اب جو زمین ہٹا دی گئی ہے وہی اسی فارمولے کے خچروں کی طرح دکھائی دیتی ہے۔ لیکن پاکستان کے زیر اقتدار کشمیر اور اکیس Kashmir چین کا دعوی کرنا چھوڑ دیتے ہیں۔

لہذا اب کرفیو کو ہٹا دیں تاکہ زندگی معمول بن سکے۔ لوگ چل سکتے تھے۔ بچے اسکول جاسکتے ہیں۔ لوگ بازار جاسکتے تھے۔ کام پر جانا الیکشن کی تیاری کرو۔ تیز اور ترقی دکھائیں۔ ایسا ماحول پیدا کریں جس میں لوگوں کو روزگار ملے۔ یہ سب ہوم ورک ہے۔

عمران خان مانیٹرنگ۔ یہ کہ دفعہ 0 370 کو ختم کرنے کے بعد وہاں بھی آمریت مسلط نہیں کی گئی۔ کرفیو کو ہٹا دیں۔ زندگی کو معمول بنائیں۔ لوگوں کو بولنے دو۔

عمران کو بھارت کے زیر اقتدار کشمیر کا دعوی کرنا چھوڑ دینا چاہئے۔ انہیں پاکستان کے زیر اقتدار کشمیر پر توجہ دینی چاہئے۔ وہاں صورتحال عام ہے یا نہیں۔ انتخابات کے بغیر بلدیاتی انتخابات ہوتے ہیں یا نہیں۔ ترقی ہو رہی ہے یا نہیں۔ چین پاکستان کے بحیرہ عرب تک جو سڑک بنا رہا ہے وہ اچھی چیز ہے۔ صرف اس شرح پر ہی غور کیا جانا چاہئے جس پر قرض لیا گیا ہے۔ اگر زیادہ ہے تو ، عمران دوبارہ بات چیت کریں اور ملائشیا کے وزیر اعظم کی طرح قرض کی شرح کم کریں۔ اگر یہ سڑک بن جاتی ہے تو پھر پاکستانی معیشت بدل جائے گی۔

پاکستان میں جمہوریت نہیں ہے۔ جمہوریت صرف انتخابات کرانے سے نہیں ہوتی۔ اگر پاکستانی فوج کا خفیہ ایجنسی پر وزیر اعظم پاکستان کا مکمل کنٹرول ہے تو پاکستان کو جمہوریت سمجھا جائے گا۔ ابھی پاکستان ایک ٹنگا ہے جس کے تین گھوڑے تین طرف سے سونگ رہے ہیں۔

عمران کا مسئلہ پاکستان کی داخلی سیاست کی طرح نظر آنے لگا ہے۔ پاکستان کی معیشت اس قدر نازک صورتحال سے گذر رہی ہے۔ وہ بہت کمزور ہے۔ عمران کو سخت ترین فیصلے لینے ہیں۔ کچھ ٹھوس اقدامات کرنے ہیں۔ ٹیکس کے دائرہ کار میں اضافہ کرنا ہوگا۔ پاکستان کا امیر ٹیکس ادا نہیں کرتا ہے۔ ہم نے ملک کو کمزور رکھا ہے۔

پاکستان کی داخلی سیاست کا مقابلہ کرنا مشکل ہے اور یہی کام عمران خان کو کرنا ہے۔ بھارت سے نمٹنا آسان ہے۔ مودی سے کہو کہ وہ بہت ایماندار ہو۔ لوگوں نے تالیاں بجا دیں۔ عمران کو اپنی معیشت پر توجہ دینے کی ضرورت ہے۔

(Translated from Hindi to Urdu with Google Translate)





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