Official photographic portrait of US President Barack Obama (born 4 August 1961; assumed office 20 January 2009) (Photo credit: Wikipedia) |
Tuesday, March 08, 2016
One Final Battle
The Gist Of It
The Law Of Political Entropy
Race, Finance
Money: 100% Digital, 100% Global, 100% On The Blockchain, 100% In Circulation
सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, सुलभता
E for Education, E for Entrepreneurship, E for Energy
To: A 10,000 Trillion Dollar Global Economy Before 2500: Heaven On Earth
Krishna and Christ
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Krishna and Christ
Monday, March 07, 2016
Access To Credit For The Small Business Sector In India
लोन के लिए कोलैटरल की जरुरत नहीं। सबके पास एक परिचयपत्र होना चाहिए। तो भारत में जिस तरह सीधे मोबाइल फ़ोन आ गया उसी तरह सीधे बायोमेट्रिक आईडी आ गया। और बैंक अकाउंट चाहिए। कॅश में डील करो तो पाकेटमार पीछे पड़ जायेंगे। और एक चाहिए क्रेडिट हिस्ट्री। यानि कि किसी से भी लोन लो, तो कितना लिया, कब लिया, चुकता किया की नहीं, सबका रिकॉर्ड रहता है। और क्रेडिट स्कोर। लेकिन सात साल में सात खुन माफ़। यानि कि आप का क्रेडिट स्कोर कितना भी ख़राब हो जाए, सात साल में क्लीन स्लेट। फिर से शुरू हो सकते हो। और बैंक को ये मानना चाहिए कि कितना भी करो ५% लोन तो डिफ़ॉल्ट होना ही है। उस बात को बिज़नेस मॉडल में ही रखो। यानि कि आप किसी को तंग नहीं कर सकते। फार्मर सुसाइड का कारण है किसानों को तंग किया जाता है। तंग नहीं कर सकते। वो मानव अधिकार का हनन हुवा। बल्कि किसान पुलिस में रिपोर्ट करो कि ये मुझे तंग कर रहा है।
१०-१५ लाख आएगा कह के सब ने बैंक खाता खुल्बा लिया देखो। अच्छा हुवा। नहीं तो लोन लेते तो कैसे?
जिस तरह प्रत्येक व्यक्ति को आईडी चाहिए उसी तरह प्रत्येक बिजनेस को, छोटे से छोटे बिजनेस को, रजिस्ट्रेशन करो। इतना कि बगैर रजिस्ट्रेशन के कोई बिजनेस कर ही नहीं सकते। और ये उनसे टैक्स लेने के लिए नहीं। बल्कि कानुन बना दो कि सालाना इतने से कम कमाई होनेवाले बिजनेस को कहीं कोई टैक्स नहीं। रजिस्ट्रेशन इसलिए कि वो लोन ले सके और अगर बात बिगड़ गयी तो बैंकरप्सी के लिए फाइल कर सके। कोर्ट में जाओ और जज को कहो मैं एक भी लोन नहीं दे सकता कृपया कंपनी डिजोल्व कर दो। तो कर देगा। बिजनेस सबके बस की बात नहीं।
बस यहीं तो है जॉब क्रिएशन। नौकरी लोगो की यहीं तो मिलेगी। कोई सेंट्रल प्लानिंग नहीं। कोई रिसर्च नहीं। सिर्फ एक्सेस टु क्रेडिट।
इनफॉर्मल सेक्टर नहीं ----- वो है स्माल बिजनेस सेक्टर। अर्थतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग जहाँ सबसे ज्यादा जॉब क्रिएशन होता है। सब काम पे लग जायेंगे। पटेल जाट agitation सब बंद।
बल्कि थोड़ा मनरेगा का पैसा इधर डाइवर्ट कर दो। गड्ढा खोदने के बजाए लोग भेड़ बकरी भैंस पाले। कुखुरा पालन। सब्जी खेती। छोटा से छोटा रोजगार के लिए पैसा। सड़क पर जो hawking करते हो उसे लोन दो। किसान को लोन। जुत्ता पोलिश करता है उसे लोन। चाय दोकान वालों को विशेष जन धन प्रधान मंत्री योजना।
Credit is lifeblood to the small business sector. The rest they can do pretty much on their own. मार्किट रिसर्च बगैरह खुद करते हैं वो। R&D सब कर लेते हैं। सरकार चाह कर भी मदत नहीं कर सकती। सरकार के लिए असंभव। Complexity बहुत है।
Access to credit has to be thought of as infrastructure ------- top of the list. उससे ज्यादा महत्वपुर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर कोई है ही नहीं। बल्कि रोड बाद में बनाओ पहले एक्सेस तो क्रेडिट दो।
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